महामहोपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ और उनका पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• वैदिक साहितà¥à¤¯
Author
Manmohan Kumar AryaDate
25-Apr-2016Category
शंका समाधानLanguage
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UmeshUpload Date
25-Apr-2016Download PDF
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पं. आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ (जनà¥à¤® 1862) का आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के इतिहास में गौरवपूरà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की नई पीढ़ी के अधिकांश लोग इनसे परिचित नहीं है। इसी उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठआज उनका परिचय इस लेख में दे रहे हैं। आपका जनà¥à¤® पूरà¥à¤µ पटियाला राजà¥à¤¯ के रूमाणा गà¥à¤°à¤¾à¤® में सनॠ1862 में हà¥à¤† था। जनà¥à¤® का व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ होने से पूरà¥à¤µ इनका नाम मणिराम था। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ होने पर आपने अपना नाम आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ रख लिया था। काशी जाकर और वहीं रहकर आपने संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ और वैदिक वांगà¥à¤®à¤¯ का गहन अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया। इसके बाद आप दयाननà¥à¤¦ à¤à¤‚गà¥à¤²à¥‹ वैदिक कालेज, लाहौर में वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° रहे। अनà¥à¤¯ मतावलमà¥à¤¬à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के जो शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ हà¥à¤† करते थे, उसमें पं. आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ जी आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अधिकारी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ के रूप में à¤à¤¾à¤— लेते थे। लाहौर में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पारà¥à¤Ÿà¥€ के आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ बचà¥à¤›à¥‹à¤µà¤¾à¤²à¥€ के वारà¥à¤·à¤¿à¤• उतà¥à¤¸à¤µ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मतावलमà¥à¤¬à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤• तीन दिवसीय शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ चरà¥à¤šà¤¾ हà¥à¤ˆ थी जिसमें पं. आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ जी ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ किया था। इस बात का महतà¥à¤µ इस कारण से है कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की वैदिक साहितà¥à¤¯ व इसकी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं और सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जो दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ व धारणा है वह महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² से पूरà¥à¤µ के ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤°à¥‚प और परवरà¥à¤¤à¥€ पौराणिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के विरà¥à¤¦à¥à¤§ है। सतà¥à¤¯ वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को जानना व विपकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सामने पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर उनसे अपने सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को मनवाने के लिठजिस योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ व अपेकà¥à¤·à¤¾ होती है वह आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के कम विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में ही होती है। इस गà¥à¤°à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤° का निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ आपने लाहौर की शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ चरà¥à¤šà¤¾ में किया था। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ वेदों को ईशà¥à¤µà¤° का नितà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सारà¥à¤µà¤•à¤¾à¤²à¤¿à¤•, सदा समान व अपरिवरà¥à¤¤à¤¨à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मानता है जिसमें इतिहास का होना असमà¥à¤à¤µ है। पौराणिक व पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ सहित अनेक à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¥€ वेदों में इतिहास मानते हैं। ‘वेदों में इतिहास’ विषय पर लाहौर में à¤à¤• बार महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज जी की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का पौराणिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पं. विशà¥à¤µà¤¬à¤¨à¥à¤§à¥ शसतà¥à¤°à¥€ से शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ हà¥à¤† था। इस शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के साथ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– वकà¥à¤¤à¤¾ के रूप में पं. आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ जी थे जिसका परिणाम आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पकà¥à¤· में रहा था।
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ जी वेदों व वैदिक साहितà¥à¤¯ के मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। आपके इस अगाध पाणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥à¤¯ तथा अपार वैदà¥à¤·à¥à¤¯ के कारण ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार ने आपको ‘महामहोपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯’ की उपाधि से अलंकृत किया था। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के वह पà¥à¤°à¤¥à¤® à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° à¤à¤¸à¥‡ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ थे जो उस समय इस उपाधि के योगà¥à¤¯ माने गये। पं. आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ जी ने विपà¥à¤² शासà¥à¤¤à¥à¤° गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ पर टीका, à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ लिखी हैं जिसमें पà¥à¤°à¤®à¥à¤– महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ के सातवें मणà¥à¤¡à¤² तक किये à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ के अगले मनà¥à¤¤à¥à¤° से आरमà¥à¤ कर नवमॠमणà¥à¤¡à¤² तक का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ है। हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि पं. आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ जी के सातवें मणà¥à¤¡à¤² व नवमॠमणà¥à¤¡à¤² का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ हमारे पास उपलबà¥à¤§ है। दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ पर उनके à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ के à¤à¥€ अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने 11 वेदानà¥à¤•à¥‚ल उपनिषदों में से 10 उपनिषदों पर à¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥€ में à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ लिखा है जो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शंकराचारà¥à¤¯ के अदà¥à¤µà¥ˆà¤¤ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ जगनà¥à¤®à¤¿à¤¥à¥à¤¯à¤¾ से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ ईशà¥à¤µà¤°-जीव-पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के à¤à¥‡à¤¦à¤ªà¤°à¤• वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पर आधारित है। 6 दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ आपने à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ किया है। मीमांसा का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ आपने इसके 6 अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ ही किया है। दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ पर आपके à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करते हà¥à¤ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मूरà¥à¤§à¤¨à¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ डा. à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€à¤²à¤¾à¤² à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जी ने लिखा है कि ‘दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ लिखते समय à¤à¥€ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ ने अपनी मौलिकता का परिचय दिया है। वे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के मनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करते हà¥à¤ सà¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ में पृथकà¥-पृथकॠविषयों का निरूपण सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ परसà¥à¤ªà¤° अविरोधी बताते हैं। वेदानà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वैयासिक सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की (ईशà¥à¤µà¤°-जीव-पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की) à¤à¥‡à¤¦à¤ªà¤°à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ शंकर कृत à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ से अपनी असहमति वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ की है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° मीमांसा दरà¥à¤¶à¤¨ में निरूपित यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ को वे अहिंसा यà¥à¤•à¥à¤¤ करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ मानते हैं। उनका इस समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में कावà¥à¤¯à¤®à¤¯ दावा है--मीमांसा के विषय में पशà¥à¤¬à¤§ को नहि काम। वैदिक मत की खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ हो यही हमारो काम।।’ पं. आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ जी ने वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायणरà¥à¤¯ टीका दो खणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में, महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤¾à¤°à¥à¤¯ टीका (संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤), गीतायोगपà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ªà¤¾à¤°à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ की टीका का मानवारà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ हिनà¥à¤¦à¥€ में करके हिनà¥à¤¦à¥€ पठित जनता पर महान उपकार किया है। इनके अतिरिकà¥à¤¤ आपने षडà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤¦à¤°à¥à¤¶ नाम से 6 दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ की समनà¥à¤µà¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• समीकà¥à¤·à¤¾, वेदानà¥à¤¤à¤¤à¥à¤µ कौमà¥à¤¦à¥€ नाम से वेदानà¥à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨ के मà¥à¤–à¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤, वेदानà¥à¤¤ कथा à¤à¤µà¤‚ दो à¤à¤¾à¤—ों में तथा आरà¥à¤¯à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना à¤à¥€ की है। आपके अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में आरà¥à¤¯ मनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ दरà¥à¤ªà¤£ à¤à¤¾à¤— 1, वैदिक काल का इतिहास, वेद मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾, नरेनà¥à¤¦à¥à¤° जीवन चरितà¥à¤° नाम से à¤à¥€à¤·à¥à¤® पितामह की जीवनी तथा दयाननà¥à¤¦ महाकावà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ दयाननà¥à¤¦ चरित मानस कावà¥à¤¯ (रामचरितमानस की शैली पर लिखित) गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। आपके अधिकांश गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लाहौर तथा काशी से छपे थे। कà¥à¤› गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ परोपकारिणी सà¤à¤¾ अजमेर और गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² à¤à¤œà¥à¤œà¤° से à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤
वेदों के मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पं. आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के अननà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤ थे। आपने अपने à¤à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ आरà¥à¤¯à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤— को महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ निमà¥à¤¨ ‘महरà¥à¤·à¤¿-दयाननà¥à¤¦à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤•à¤®à¥’ लिखा है जिसको पढ़कर पाठक चरितनायक की कावà¥à¤¯ रचना पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ का आननà¥à¤¦ ले सकते हैं।
उतà¥à¤¤à¤® पà¥à¤°à¥à¤· à¤à¤¯à¥‡ जग जो, वह धरà¥à¤® के हेतॠधरें जग देहा।
धन धाम सà¤à¥€ कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨ करें, पà¥à¤°à¤®à¤¦à¤¾ सà¥à¤¤ à¤à¥€à¤¤à¤° कांचन गेहा।
सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— से पग नाहिं टरे, उनकी गति है à¤à¤µ à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¤¹à¤¾à¥¤
à¤à¤• रहे दृढ़ता जग में सब, साज समाज यह होवत खेहा।।1।।
इनके अवतार à¤à¤¯à¥‡ सगरे, जगदीश नहीं जनà¥à¤®à¤¾ जग माहीं।
सà¥à¤–राशि अनाशी सदाशिव जो, वह मानव रूप धरे कà¤à¥€ नाही।
मयिक होय वही जनà¥à¤®à¥‡, यह अजà¥à¤ž अलीक कहें à¤à¤µ माहीं।
यह मत है सब वेदन का, वह à¤à¤¾à¤·à¤¾ रहे निज बैनन माहीं।।2।।
धनà¥à¤¯ à¤à¤ˆà¤‚ उनकी जननी, जिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ आरत के दà¥à¤ƒà¤– टारे।
रविजà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ किया जग में, तब अंध निशा के मिटे सब तारे।
दिन रात जगाय रहे हमको, दà¥à¤ƒà¤–नाशकरूप पिता जो हमारे।
शोक यही हमको अब है, जब नींद खà¥à¤²à¥€ तब आप पधारे।।3।।
वैदिक à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ किया जिन ने, जिनने सब à¤à¥‡à¤¦à¤¿à¤• à¤à¥‡à¤¦ मिटाà¤à¥¤
वेदधà¥à¤µà¤œà¤¾ कर में करके, जिनने सब वैर विरोध नसाà¤à¥¤
वैदिक-धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ किया, मतवाद जिते सब दूर हटाà¤à¥¤
डूबत हिनà¥à¤¦ जहाज अब, जासॠकृपा कर पार कराà¤à¥¤à¥¤4।।
जाप दिया जगदीश जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इक, और सà¤à¥€ जप धूर मिलाà¤à¥¤
धूरत धरà¥à¤® धरातल पै जिनने, सब जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की आग जलाà¤à¥¤
जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ किया उन, गपà¥à¤ª महातम मार उड़ाà¤à¥¤
डूबत हिनà¥à¤¦ जहाज अब, जासॠकृपा कर पार कराà¤à¥¤à¥¤5।।
सो शà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी, जिनने यह आरà¥à¤¯à¤§à¤°à¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¾à¥¤
à¤à¤¾à¤°à¤¤ खणà¥à¤¡ के à¤à¥‡à¤¦à¤¨ का जिन, पाठकिया सब ततà¥à¤µ विचारा।
वैदिक पथ पै पांव धरा उन, तीकà¥à¤·à¥à¤£ धरà¥à¤® असी की जो धारा।
à¤à¤¸à¥‡ ऋषिवर को सजà¥à¤œà¤¨à¥‹, कर जोड़ दोऊ अब बंद हमारा।।6।।
वà¥à¤°à¤¤ वेद धरा पà¥à¤°à¤¥à¤®à¥‡ जिसने, पà¥à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ धरà¥à¤® का कीन सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾à¥¤
धन धाम तजे जिसने सगरे, और तजे जिसने जग में सà¥à¤¤à¤¦à¤¾à¤°à¤¾à¥¤
दà¥à¤ƒà¤– आप सहे सिर पै उसने, पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ आरत का दà¥à¤ƒà¤– टारा।
à¤à¤¸à¥‡ ऋषिवर को सजà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚, कर-जोड़ दोऊ अब बनà¥à¤¦ हमारा।।7।।
वेद उदà¥à¤§à¤¾à¤° किया जिनने, और गपà¥à¤ª महातम मार बिदारा।
आप मरे न टरे सत पनà¥à¤¥ से, दीनन का जिन दà¥à¤ƒà¤– निवारा।
उन आन उदà¥à¤§à¤¾à¤° किया हमरा, जो गिरें अब à¤à¥€ तो नहीं कोई चारा।
à¤à¤¸à¥‡ ऋषिवर को सजà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚, कर जोड़ दोऊ अब बंद हमारा।।8।।
हमने मूरà¥à¤§à¤¨à¥à¤¯ आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ डा. à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€à¤²à¤¾à¤² à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जी के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ आरà¥à¤¯à¤²à¥‡à¤–क कोश व पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सनॠ1977 में 39 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ आरà¥à¤¯à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯-पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶-दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯-à¤à¤¾à¤— से इस लेख को तैयार करने में सहायता ली है। उनका हारà¥à¤¦à¤¿à¤• धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¤µà¤‚ आà¤à¤¾à¤° है। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ जी का जनà¥à¤® सनॠ1862 में हà¥à¤† था और महषि दयाननà¥à¤¦ जी की मृतà¥à¤¯à¥ 30 अकà¥à¤¤à¥‚बर, सनॠ1883 को अजमेर में हà¥à¤ˆà¥¤ सनॠ1883 में पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी 21 वरà¥à¤· के यà¥à¤µà¤• थे। हमारा अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि आपने पंजाब व काशी में से किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के दरà¥à¤¶à¤¨ अवशà¥à¤¯ किये होंगे। हो सकता है कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ के उपदेश à¤à¥€ सà¥à¤¨à¥‡ हों वा उनसे वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª à¤à¥€ किया हो। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी के अधिंकाश गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿ उपलबà¥à¤§ नहीं हैं। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में à¤à¤¸à¥€ कोई सà¤à¤¾, संसà¥à¤¥à¤¾ व सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं है जो अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के महतà¥à¤µà¥‚परà¥à¤£ अनà¥à¤ªà¤²à¤¬à¥à¤§ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देता हो वा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करता हो। हां, छà¥à¤Ÿà¤ªà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸, कà¥à¤› वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त व कà¥à¤› संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं व पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤• सà¥à¤¤à¤° पर, यतà¥à¤°-ततà¥à¤° व यदा-कदा हो जाते हैं परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• बहà¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ नीति की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ दà¥à¤ƒà¤–द व हानिपà¥à¤°à¤¦ है और à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतघà¥à¤¨à¤¤à¤¾ का पाप à¤à¥€ है। इसका à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में दà¥à¤·à¥à¤ªà¤°à¤¿à¤£à¤¾à¤® à¤à¥€ हो सकता है।
हमें इस बात की पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ है कि पं. आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ जी के संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ जीवन परिचय व उनके उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ पदà¥à¤¯ से हम à¤à¥€ लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ हैं और पाठक à¤à¥€ लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होंगे। अपने विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ को सà¥à¤®à¤°à¤£ करने के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤¤à¤¿ के पालन से à¤à¥€ हमें पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ है। हम आशा करते हैं पाठक इस रचना को à¤à¥€ पसनà¥à¤¦ करेंगे।
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